हम में से कोई कोई जानता है की 14 sepetember world hindi day होता है जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है लेकिन हिंदी की अहमियत नहीं जानते। हिंदुस्तान में बहुत सी भाषाएँ बोली जाती है। अलग स्टेट में अलग भाषा कहा जाता है कि इंडिया में हर 100 km के बाद भाषा को बोलने का तरीका अलग हो जाता है पर पूरे इंडिया में जितनी भी भाषा क्यो न हो पर हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी ही है। भारत की सभी भाषाएँ संस्कृत में से निकली है। पर हिंदी ही संस्कृत में से निकली 1 मजबूत भाषा है जो पूरे विश्व मे कुछ प्रतिशत बोली जाती है। हिंदी पूरे विश्व मे तीसरे| स्थान पर बोली जाने वाली सबसे लोकप्रिय भाषा है।
हमारा बच्चा स्कूल जाता है और वो हमें इंग्लिश में कुछ सुनता है तो हमे बहुत गर्व महसूस होता है पर गर्व हमसे ज्यादा पश्चिमी देशों को होता है क्योंकि हम अपने देश की भाषा छोड़ कर उनकी भाषा मे ज्यादा विश्वास करने लगे है। आने वाले समय मे हमारी हिंदी भाषा का अस्तित्व खतरे में है। आज के समय मे अगर किसी को इंग्लिश नही आती तो उसे अनपढ़ कहा जाता है चाहे उसके पास कितना भी ज्ञान हो। यह उचित नही है। हमे अपनी राष्ट्र भाषा की अहमियत समझनी चाहिए।
हिंदी का पूरे विश्व मे बोलबाला हो चुका है। कुछ देशों में तो हिंदी टीचर की बहुत डिमांड है। पर उन्हें हिंदी टीचर मिल नही रहे। इसका कारण यही है कि हम हिंदी की अहमियत को नही पहचानते। हमे अपनी हिंदी का विस्तार करना चाहिए ताकि हिंदी की भी अलग पहचान हो।
14 September world hindi day (हिंदी दिवस)
14 september 1949 को देश मे हिंदी के सम्मान में हिंदी दिवस घोषित किया गया था। 14 सितम्बर को हिंदी दिवस होता है पर किसी किसी को इस दिवस के बारे में पता है। ऐसा इसलिए है कि हम पश्चिमी देशों की ओर अग्रसर है। हम उनकी भांति इंग्लिश बोलने में अपना सम्मान समझते है।हमारा बच्चा स्कूल जाता है और वो हमें इंग्लिश में कुछ सुनता है तो हमे बहुत गर्व महसूस होता है पर गर्व हमसे ज्यादा पश्चिमी देशों को होता है क्योंकि हम अपने देश की भाषा छोड़ कर उनकी भाषा मे ज्यादा विश्वास करने लगे है। आने वाले समय मे हमारी हिंदी भाषा का अस्तित्व खतरे में है। आज के समय मे अगर किसी को इंग्लिश नही आती तो उसे अनपढ़ कहा जाता है चाहे उसके पास कितना भी ज्ञान हो। यह उचित नही है। हमे अपनी राष्ट्र भाषा की अहमियत समझनी चाहिए।
क्यों जरूरी है हिंदी
हमारे देश के संविधान में हिंदी को संघ भाषा कहा गया है यानी कि हिंदी भाषा से ऊपर कुछ नही पर फिर भी हमारी सरकार के सभी काम इंग्लिश में होते है हिंदी में नही। बंगलादेश, नेपाल, भूटान, बर्मा, अफगानिस्तान, मोरिशस जैसे देशों में हिंदी बोली जाती है। पूरे विश्व में इंडिया के इलावा 2 करोड़ लोग से ज़्यादा लोग हिंदी बोलते है। पूरे विश्व मे 126 देशो में हिंदी को पढ़ाया जाना हमारे देश की भाषा की लोकप्रियता एवम एकता का प्रतीक है। इंग्लिश की 3 लाख शब्द सम्पदा के मुकाबले हिंदी की 7 लाख शब्द सम्पदा है जो कि अपने आप मे बहुत अधिक है।UN में हिंदी भाषण
हमें मान है अटल बिहारी वाजपेयी जी पर जिन्होंने u s a जाकर अपना भाषण हिंदी में दिया था। अपना भाषण हिंदी में देकर उन्होंने पूरे विश्व को चोंका दिया था और भारत के लिए 1 मिसाल कायम की थी कि हमारे देश की भाषा किसी से कम नही। जब हमारे देश मे कोई बाहरी देश का मंत्री या राजनेता आता है तो वो अपने देश की भाषा मे बात कर के अपने को गर्व महसूस करता है और दर्शाता है कि उनका देश के प्रति कितना प्रेम है है। हमे भी अपनो राष्ट्र भाषा का इतना विस्तार करना चाहिए कि उसकी गूंज पूरे विश्व मे सुनाई दे।हिंदी की दुर्दशा का कारण
हमारे देश मे हिंदी की इतनी दुर्दशा का कारण केवल हमारी शिक्षा प्रणाली और शासन व्यवस्था दोनों जिम्मेदार है जो कि पूरी तरह इंग्लिश पर निर्भर हो चुकी है। हमे अपनी हिंदी की अहमियत को समझना होगा और इंग्लिश को 1 कदम पीछे रखना होगा। ऐसा तभी हो सकता है अगर हम अपने युवाओ को हिंदी के प्रति प्रेरित करे और उन्हें हिंदी की अहमियत का ज्ञान करवा सके। सरकार को भी हिंदी की अहमियत को समझते हुए स्कूलों कॉलेज में हिंदी को प्राथमिकता देनी चाहिए। सरकार के सभी काम हिंदी में होने चाहिए। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, सभी सार्वजनिक स्थानों पर निर्देश इंग्लिश की बजाय हिंदी में हो ताकि सभी समझ सके। हमारे देश के लोगो के लिए कुछ भी हिंदी में समझना अधिक आसान है। इंडिया के लोग अगर इंटरनेट पर कुछ सर्च करते है तो वो पहले हिंदी में खोजबीन करेंगे क्योंकि हिंदी में अगर कुछ मिल जाये तो अधिक आसान हो जाता है।
यहां तक कि गूगल ने भी हिंदी की अहमियत समझते हुए हिंदी को भी प्राथमिकता दी है अब इंडिया के लोग हिंदी में भी सर्च कर सकते है।
हिंदी का पूरे विश्व मे बोलबाला हो चुका है। कुछ देशों में तो हिंदी टीचर की बहुत डिमांड है। पर उन्हें हिंदी टीचर मिल नही रहे। इसका कारण यही है कि हम हिंदी की अहमियत को नही पहचानते। हमे अपनी हिंदी का विस्तार करना चाहिए ताकि हिंदी की भी अलग पहचान हो।
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