gut feeling kya hai

जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आती है जब हमें कोई फैसला लेना पड़ता है। कई बार हमें अपने मन की बात मन में ही रखनी पड़ जाती है और कई बार हम बिना देर लगाए तुरंत हां या ना कर देते हैं। यहीं पर आपकी Gut Feeling यानि की Sixth Sense काम आती है।

कई बार निर्णय लेने में आपका दिल कहता है कि आगे बढ़, दिमाग कहता है कि पागल मत बन। दोस्त कहते हैं कि देख ले खूब सोच समझ कर कोई फैसला लेना। इसमें आप confusion में हैं। क्या करें या क्या ना करें किसकी माने। अपने दिल की दिमाग की या फिर अपने खास दोस्तों की।

लेकिन कभी आपने notice किया होगा की हम में से कुछ ऐसे भी होते हैं जो फैसला लेने में किंतु परंतु नहीं करते जो भी फैसला लेना होता है तुरंत ले लेते हैं।

वह फैसला अच्छा होता है या खराब यह बाद में देखी जाती है। ऐसे फैसले लेने वाले लोगों के पास अंतर दृष्टि यानी Gut feeling या Sixth Sense यानि छठी इंद्रिय के कारण हां या ना कहने की ताकत होती है।

 इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे की

Gut Feeling क्या है ?

Gut Feeling से तुरंत निर्णय कैसे लें
?

Gut Feeling को विकसित कैसे करें ?

लेकिन उसे पहले गट फीलिंग को समझना जरूरी है की ये है क्या और कैसे काम करती है। 

गट फीलिंग यानी छठी इंद्री क्या है - Meaning of Gut Feeling ?

अक्सर आपने लोगो से कहते सुना होगा "मेरे दिल ने कहा, इसलिए मैंने ये किया इस दिल की बात को वैज्ञानिक भाषा में gut फीलिंग कहते हैं Gut feeling या छठी इंद्री वास्तव में बिना सोचे समझे या तर्क वितर्क किए बिना इंद्रियों के माध्यम से अच्छे या बुरे का अहसास करके तुरंत निर्णय लेने की क्षमता है।

GUT FEELING एक व्यक्ति के अंदर से आने वाला एक अज्ञात ज्ञान या अनुभव है जो बिना किसी तर्क या गहन विश्लेषण के किसी परिस्थिति के बारे में अनुमान लगाकर तुरंत निर्णय लेने में मदद करता है। इसे "GUT FEELING" कहा जाता है।

Gut Feeling जिसे हम आन्तरिक भावना या आन्तरिक ज्ञान भी कह सकते हैं। Gut यानी की पेट, इसे आंत की भावना भी कहते है। दरअसल मस्तिष्क और आंत के बीच एक तरह का संवाद होता है। मस्तिष्क और अंत के बीच सीधा संबध होता है, जिसे वैज्ञानिक रूप से Gut Brain Axis कहते हैं। हमारे पेट में लाखों न्यूरांस होते हैं जो दिमाग के साथ जुड़े होते हैं  परंतु ये दिमाग की तरह सोच नहीं सकता किंतु अच्छी या बुरी परस्थिति में संकेत जरूर देता है। जिसे समझ कर आप बिना सोचे कोई निर्णय लेते हैं।

गट फीलिंग की ताकत उसकी अनुभव और सामान्य ज्ञान पर आधारित होती है। यह व्यक्ति के पूर्व अनुभव, शिक्षा, और समझ के आधार पर विकसित होती है।

यह किसी चीज़ के बारे में आने वाले अनुमान को निर्धारित करने के लिए उनकी सोच और तर्क का संबद्ध योगदान है। गुट फीलिंग अक्सर व्यक्ति को आने वाली खतरे या मौके की चेतावनी देती है जो वे सामान्य तरीके से नहीं देख सकते परंतु आपका शरीर आपको उस खतरे के बारे में संकेत जरूर देता है।

सच तो यह है कि अक्सर हमारे पास निर्णय लेने के लिए समय ही नहीं होता। इसलिए नहीं की जिंदगी अब बहुत तेज हो गई है। यह समय हमारे पूर्वजों के पास भी नहीं था। इस प्रकार पूर्वानुमान लगाने की क्षमता के रूप में छठी इंद्री विकास के दौरान हमारे अंदर प्रकट हुई।

इसके अलावा अगर हम हमेशा सोच समझकर ही निर्णय लेंगे तो यह हमारे जीवन को असहनीय बना देगा कल्पना कीजिए यदि आपको in fact हर कदम के बारे में सोचना पड़े।

डच वैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट के अनुसार जो लोग long term निर्णय जैसे घर या कर खरीदना आदि लेते समय अपने Gut feeling पर भरोसा करते थे उनकी अपनी खरीदारी से संतुष्ट होने की संभावना उन लोगों की तुलना में 2.5 गुना अधिक थी जिन्होंने सावधानी से कुछ खरीदते समय काफी तर्क वितर्क किया या फायदे और नुकसान का आकलन किया था।

Gut feeling कैसे काम करती है - How Does Gut Feeling Works

पूरे जीवनकाल में हमारा दिमाग असंख्य डाटा प्रोसेस करता है। तथ्यों और घटनाओं को एक दूसरे से जोड़ता है। यह सभी बातें और घटनाएं जाने अनजाने में हमारे अवचेतन दिमाग में स्टोर होती रहती हैं।

जिसमें से कुछ इक्कठा रह जाता है बाकी नष्ट हो जाता है। जब कभी हमारे सामने कोई ऐसी परिस्थिति आती है जहां पर हमे तुरंत निर्णय लेने की आवश्यकता होती है तब हमारा अवचेतन दिमाग अपने संग्रहित डाटा जो हमारे अनुभव, ज्ञान और शिक्षा पर आधारित होता है को तुरंत चेतन दिमाग तक पहुंचता है और समान्य तर्क के आधार पर तुरंत हां या ना का निर्णय लेने की शक्ति देता है। यह बात या सूचना सही है या गलत यह अवचेतन मन में मौजूद सूचना संग्रह पर निर्भर करता है।

हालांकि gut feeling और logic यानी की तर्क शक्ति दोनो का प्रयोग करके ही अच्छे निर्णय लिए जाते हैं परंतु इन दोनो में काफी फर्क है। चलिए जानते हैं कैसे -

अंतर्ज्ञान और तर्क में अंतर - Difference between gut feeling and logic

एक महत्वपूर्ण निर्णय लेने में हमारा दिमाग इन दोनो का उपयोग करता है। परंतु कुछ फैसले लेने में केवल gut feeling ही काम आती है उसमें तर्क वितर्क करने की जरूरत नहीं होती।

Gut feeling

जैसा की हम शुरू से बताते आ रहे हैं की Gut Feeling यानी की अंतर्ज्ञान हमारी भावनाओं और अनजाने अनुभवों पर आधारित होता है। यह एक दम से पैदा होने वाला विचार है। इसमें कोई तर्क वितर्क, विश्लेषण या फिर तुलना करने के लिए आंकड़ों को आवश्यकता नहीं होती। Gut feeling वहां काम करती है जब आपको किसी परिस्थित में तुरंत Decision लेना होता है जहां पर सोचने समझने का वक्त नहीं है।

उदाहरण - आपके पास दो नौकरी की Offer हैं। पहली नौकरी वित्तीय यानी सैलरी में अच्छी है और दूसरी में सैलरी थोड़ी कम है। आप पहली नौकरी का प्रस्ताव स्वीकार करने में संकोच महसूस करते है जबकि आपको सभी Financial और Professional Profits का पता है। लेकिन आपको लगता है की यह सही नहीं है आपको सोच कर बेचैनी होने लगती है।

Logic

यह एक तर्कसंगत और विश्लेषणात्मक (Rational and analytical) प्रक्रिया है। तर्क के आधार किसी समस्या या निर्णय को तथ्यों आंकड़ों और नियमों का उपयोग करके सुलझाया जाता है। बारीकी से समस्या को जांचा जाता है। तर्कसंगत फैसले लेने में काफी वक्त लगता है परंतु इस तरह के लिए गए फैसले स्टीक और सही होते हैं।

उदाहरण - जैसा की आप किसी course में admission लेना चाहते हैं तो आप उसकी Syllabus course की अवधि और भविष्य में इस कोर्स का क्या करियर है सभी का विश्लेषण करेंगे और फिर निर्णय लेंगे की क्या यह course आपके लिए सही है या नहीं।

steps to improve gut feeling


छठी इंद्री की शक्ति कैसे बढ़ाएं - How To Increase Gut Feeling Power

जैसा की पूरे लेख में हमने जाना की Gut Feeling यानी की छठी इंद्री जिसे अंतर्ज्ञान भी कहते है कैसे काम करता है और यह किसी समस्या के लिए तुरंत निर्णय लेने में बहुत काम आता है। लेकिन क्या हम अपनी इस शक्ति को मजबूत भी कर सकते हैं तो इसका उत्तर है हां।

मस्तिष्क का दायां हिस्सा इसके लिए जिम्मेदार है। यह हमारी भावनाओं और संवेदनाओं को पहचानने में भी मदद करता है। कुछ तरीके जो हम बता रहे हैं उससे नियमित प्रयोग करने से आपकी gut feeling मजबूत हो सकती है। चलिए जानते हैं -

जरूरत से ज्यादा न सोचें

यह जो जरूरत से अधिक सोचने की हमारी आदत है, कभी कभी बहुत नुकसान कर देती है। हम कोई निर्णय लेने से पहले उसके बारे में जरूरत से अधिक विचार करने लगते हैं। यदि ऐसा हो गया तो, यदि वैसा हो गया तो, कहीं ऐसा ना हो जाए या फिर कहीं ऐसा ना हुआ तो

कहने का मतलब यह है कि अभी तो आपने कोई निर्णय लिया भी नहीं और उससे पहले ही उसके किंतु परंतु में उलझ गए। जो सही समय सही निर्णय लेने में लगाना चाहिए उसे आप आगे क्या होगा या क्या नहीं होगा, इस पर बर्बाद कर रहे हैं।

इस स्थिति में आपकी gut feeling काम आ सकती है। बस आपको शांत मन से गट फीलिंग का हल्का सा इशारा चाहिए ताकि जल्दी किसी निर्णय पर पहुंच सकें। आगे चलकर इस निर्णय का क्या असर होगा ये सोचना ठीक है। लेकिन इतना ज्यादा सोचना की कोई फैसला ही न ले पाएं यह उचित नहीं है। तो जो होगा सो होगा, आज जो हो रहा है,  उस पर अपनी gut feeling के सहारे कोई निर्णय लेने में देर मत लगाइए।

नियमित ध्यान लगाना सीखें

अपनी छठी इंद्री को मजबूत करने का एक प्रभावी तरीका है ध्यान लगाना पल में पूरी तरह से उपस्थित रहकर और अपने विचारों भावनाओं और संवेदनाओं पर ध्यान देकर आप अपनी और अपने प्रवृत्ति की गहरी समझ विकसित कर सकते हैं।

हर दिन एक पल के लिए चुपचाप बैठे अपनी आंखें बंद करें और अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें बिना किसी निर्णय के उठने वाले किसी भी विचार या संवेदना पर ध्यान दें यह अभ्यास आपको अपने अंतर ज्ञान के साथ अधिक तालमेल बिठाने और अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से पहचान और उन पर भरोसा करने में मदद कर सकता है।

खुद को बाहर से देखना सीखें

आप खुद को समझने के लिए अपने दिनचर्या के कामों को ध्यान से देखें जैसे अपने बालों में कंघी करना, दोपहर का भोजन करना, मेट्रो की सवारी करना, स्थिति से पीछे हटे और अपने शरीर को बाहर से देखने वाला बनें ।

क्यों या क्यों के बारे में मत सोचो प्रक्रिया को महसूस करो कंगी के स्पर्श पर त्वचा कैसे प्रतिक्रिया करती है, अलग-अलग पेस्ट सामग्री का सवाद कैसा होता है, बैकपैक आपके कंधों पर कैसे दबाव डालता है और जब ट्रेन धीमी हो जाती है तो आपकी पिंडलियां कितनी तनावग्रस्त हो जाती है। इस तरह के नियमित mindfulness प्रशिक्षण से एकाग्रता बढ़ती है, याददाश्त में सुधार होता है और अपने और अपनी भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता विकसित होती है।

अपने शरीर की सुने

आपका शरीर सहज मार्गदर्शन का एक शक्तिशाली स्रोत हो सकता है। इस बात पर ध्यान दें की आपका शरीर विभिन्न परिस्थितियों में कैसे प्रतिक्रिया करता है? क्या किसी अजनबी से मिलते समय या फिर किसी खास परिस्थित में आप बेचैनी महसूस करते हैं। इन सभी संकेतो के माध्यम से आप निर्णय ले सकते हैं। 

ऐसे संकेत का बेहतर पता लगाने के लिए आपको खुद का अध्ययन करना चाहिए और उन भावनाओं का अध्ययन करना चाहिए जो आप तब अनुभव करते हैं जब सब कुछ ठीक होता है और जब कुछ गलत होता है।

शायद जब किसी प्रकार की मनोवैज्ञानिक परेशानी प्रकट होती है तो आपको अपनी गर्दन में दर्द होने लगता है एक बार जब आप इस पैटर्न को नोटिस कर लेंगे तो आप अपनी गर्दन में दर्द से यह निर्धारित करना शुरू कर देंगे कि कुछ अप्रिय घटित हो रहा है।

दिमाग की पहली प्रवृति पकड़ें

अक्सर हमारे दिमाग में आने वाला पहला विचार मूल्यवान जानकारी प्रदान करता है जिसे हम अनदेखा कर देते हैं या किसी निर्णय का अनुमान नहीं लगते हैं। अधिक सोचने या बाहरी राय लेने से पहले अपनी पहले दिमागी प्रतिक्रिया पर ध्यान दें और उसके लिए एक क्षण ले।

कल्पना करें कि आप इस बात में विचार रहा कर रहे हैं कि किसी अच्छे प्लान में आपने पैसे invest करने का सोचा। अपने प्रारंभिक मूल्यांकन (initial assessment) पर आप उत्साह और आशावाद की भावना महसूस करते हैं परंतु जैसे-जैसे आप अधिक detail में जाते हैं और दूसरों से सलाह लेते हैं संदेह और झिझक आने लगती है। इस मामले में अपनी प्रारंभिक भावना पर भरोसा करने से आप अधिक प्रामाणिक और संरक्षित (authentic and secure) निर्णय ले सकते हैं।

खुद पर भरोसा करें

हर कोई जानता है कि भाग्य या अच्छे बुरे समय को दोष देने की बजाय अपनी मेहनत और साधन पर भरोसा करो। तो आप भी अपने ऊपर भरोसा करें ताकि सही समय पर जो भी निर्णय ले उस पर बाद में पछताना ना पड़े। खुद पर भरोसा होगा तो यकीन करिए जो होगा अच्छा होगा।

कई निर्णय आपके आगे के जीवन को प्रभावित करते हैं जैसे कि क्या यह नौकरी करूं या ना करूं, दोस्ती को प्यार में बदलने दूं, ब्रेकअप करूं या चलने दूं ऐसी परिस्थितियों में अपनी आंखें बंद करें मन में दुविधा खत्म कर दे और अपनी गट फीलिंग को काम करने दे वह जो इशारा करें उसे पकड़ें और भरोसे के साथ आगे बढ़ जाए मंजिल जरूर मिलेगी।

एकांत और मौन की तलाश करें

आज की व्यस्त और दौड़ भरी जिंदगी में अपने लिए time निकालना और अपने अंतर्ज्ञान से जुड़ना बेहद मुश्किल है। दिन में एक बार कुछ समय के लिए एकांत में अकेले और मौन रहना सीखें।

इससे आपको बाहरी दुनिया के शोर से शांत रहने में मदद मिलेगी जिससे आप अपने मन को समझ सकेंगे। किसी शांतिपूर्ण वातावरण या घर पर एक शांत जगह देखें। शांति के क्षणों को ढूंढना मानसिक शांति प्रदान करेगा। इससे आपकी gut feeling और मजबूत बनेगी।